- किसानों की उपज जमीन पर, प्लेटफार्म पर व्यापारियों का कब्जा?
- मंडी प्रशासन की उदासीनता व लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे किसान
- बेमौसम की बारिश व अंधड से उपज की होती है बरबादी
चाकसू (जयपुर). एक ओर जहां सरकारें किसानों को राहत व सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध हैं, वहीं जमीनी स्तर पर प्रशासनिक लापरवाहियों के चलते किसान जरूरी सहूलियतों से महरूम हैं। ऐसा ही हाल चाकसू स्थित कृषि उपज मंडी में अपनी उपज बेचने आने वाले किसानों का है।
वैसे तो चाकसू कृषि मंडी परिसर में किसानों की उपज बेचने व उसे सुरक्षित रखने के लिए प्लेटफार्म बने हुए है, लेकिन इन प्लेटफार्म पर व्यापारियों ने कब्जा जमाया हुआ हैं। इसके चलते हुए किसानों को अपनी उपज जमीन पर ही डालकर बेचनी पडती हैं। इससे कई बार बारिश व अंधड के चलते किसानों की उपज बरबाद हो जाती हैं। जिससे किसानों का काफी आर्थिक नुकसान उठाना पडता है। जब मंडी परिसर मे स्थित बदहाल अव्यवस्थाओं को लेकर पडताल की गई तो वाकई हालात चौंकाने वाले नजर आए। कडी धूप में किसान जमीन पर पडी अपनीं उपज को बेचने पर मजबूर नजर आए, तमाम प्लेटफार्मों पर व्यापारियों ने माल रख कर कब्जा किया हुआ था, इतना हीं नही मंडी परिसर में गंदगी का आलम पसरा हुआ था।
सबसे दिलचस्प बात ये कि लोकडाउन के बावजूद भी मंडी परिसर सोशल डिस्टेंसिंग की खुलकर अवहेलना नजर आई। 10 से 15 व्यापारी व आडतिए एक साथ बोली लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना करते हुए नजर आए।
इस मामले पर जब मंडी प्रशासन के अधिकारियों से बातचीत की गई तो अधिकारी बगले झांकते नजर आए। कृषि मंडी सचिव दिलीपसिंह से जब किसानों के लिए बने प्लेटफार्म के मामले पर बात की गई तो उन्होंने पहले तो प्लेटफार्म पर व्यापरियों के कब्जे की बात को सिरे से खारिज कर दिया, लेकिन जब उन्हें फोटो व वीडियो दिखाए गए तो उन्होंने तुरंत व्यापारियों को किसानों के लिए प्लेटफॉर्म खाली करने के निर्देश दिए। वहीं जब इसी मसले पर मंडी व्यापार संघ के महासचिव राजेश गुप्ता से जानकारी ली गई तो उन्होंने मंडी के प्लेटफार्म पर व्यापारियों के कब्जे की बात स्वीकार करते हुए एक-दो दिन में प्लेटफार्म खाली कराने की सहमति जताई।
शुक्रवार को मंडी परिसर मे आयोजित एक कार्यक्रम में जब चाकसू विधायक को उपरोक्त समस्या से मीडिया द्वारा अवगत कराया तो उन्होंने गहरी नाराजगी जताते हुए तत्काल मंडी सचिव को प्लेटफार्म खाली कराने के निर्देश दिए।
अब सवाल उठता है कि मंडी प्रशासन इतनी बडी लापरवाही को यूं ही लगातार जारी रखेगा या अन्नदाता किसान यूं ही मंडी प्रशासन की खामियों का खामियाजा भुगतता रहेगा।